हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , ईरान के शहर मरंद के इमाम-ए-जुमा हुज्जतुल इस्लाम पुर मोहम्मदी ने हज़रत फातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की शहादत के मौके पर आयोजित मजलिस-ए-अज़ा में अपने संबोधन के दौरान कहा,हज़रत फातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा "उम्मे अबीहा" (अपने पिता की माँ) हैं और पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही की रिहलत के बाद विलायत और इमामत की रक्षा का झंडा उठाने वाली हैं।
उन्होंने हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की मज़लूमियत और बेमिसाल फज़ाइल का ज़िक्र करते हुए इस्लामी उम्मत की एकता में उनकी बुनियादी भूमिका को बयान करते हुए कहा, हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा केवल एक नाम नहीं बल्कि एक मकतब हैं। उनकी अमली सीरत और उनके इरशादात जीवन के व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक सभी क्षेत्रों के लिए जीवंत और क़ाबिल-ए-अमल नमूना हैं।
हुज्जतुल इस्लाम पूर मोहम्मदी ने इस्लाम के दुश्मनों की उन साजिशों की ओर इशारा किया जिनका मकसद अहले बैत अलैहिमुस्सलाम की नूरानी सीरत को तहरीफ का शिकार बनाना है और कहा: दुश्मन सिनेमा, मीडिया और कई सांस्कृतिक हथियारों के ज़रिए खातून-ए-दो जहाँ हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के मकाम को संदेहास्पद बनाने की कोशिश कर रहा है और हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम मआरिफ-ए-फातिमी (स) का इल्मी बचाव और सही तब्यीन करें।
इमाम-ए-जुमआ मरंद ने कहा, विलायत-ए-फकीह की पैरवी अंबिया और आइम्मा ए अतहार अलैहिमुस्सलाम के रास्ते की तसील्सुल है। वर्तमान दौर में वली-ए-फकीह हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा खामनेई की हिमायत समाज को इस्लाम-ए-नाबे मोहम्मदी सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही के रास्ते पर साबित-क़दम रखने की ज़मानत है।
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